Makhi Aur Maendhako Ki Mel Ki Shakti
मक्खी और मेढकों की मेल की शक्ति, एक जंगल में एक तमाल के पेड़ पर एक चिड़ा और चिड़ी घोंसला बनाकर रहते थे। प्रसव काल आने पर चिड़िया ने अंडे दिए। एक दिन एक मदोन्मत हाथी उधर से आ निकला। धूप से व्याकुल होने पर वह उस वृक्ष की छाया में आ गया और अपनी सूंड़ से उस शाखा को तोड़ दिया जिस पर चिड़िया का घोंसला था। चिड़ा और चिड़िया तो उड़कर किसी अन्य वृक्ष पर जा बैठे, किंतु घोंसला गिर गया और उसमे रखे अंडे चूर-चूर हो गए. अपने अंडे नष्ट होते देखकर चिड़िया विलाप करने लगी। उसके विलाप की सुनकर एक कठफोड़वा वहां आ पहुंचा। कठफोड़वा चिड़िया और चिड़े से मैत्री भाव रखता था। परिस्थिति को समझकर उसने कहा-‘अब व्यर्थ के विलाप से क्या लाभ ? जो होना था वह तो हो ही चुका। अब तो धैर्य धारण करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है। ” कठफोड़वा की बात सुनकर चिड़ा बोला-‘आपका कहना तो ठीक है, किंतु उस मदोन्मत्त ने अकारण मेरे बच्चों का विनाश किया है। यदि तुम सच्चे मित्र हो तो उस हाथी को मारने का कोई उपाय बताओ |
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